8TH SEMESTER ! भाग- 130( Two Sore Truths-3)
"सेक्स करेगी,बहुत मन हो रहा है..."ऐसा मैने जान बूझकर कहा ताकि निशा मुझे फटकारे जिससे मुझे थोड़ा सुकून मिले....
"नींद की गोलिया मेरे डैड ने खाई है... लेकिन लगता है असर तुम्हारे उपर हो रहा है....ये कोई वक़्त है ये सब बात करने का... तुम्हारे अंदर ज़रा सी भी इंसानियत और समझ नही है क्या जो सेक्स करने को कह रहे हो... इधर मेरे डैड तुम्हारी वजह से बीमार पड़े है ,मेरी माँ उदास है और तुम सेक्स करने को कह रहे हो... तुम लड़को को सिवाय उसके कुछ दीखता नहीं क्या..?? दो दिन भी नहीं रह सकते... और फिर जब करने की बारी आएगी तो एकदम से स्वाहा हो जाओगे... Boys areee......"
"Arman 2.0, आज का कोटा पूरा हो गया भाई.. अब ये और सुनाये,फिर तू कुछ उल्टा सीधा बोल दे.. उसके पहले फ़ोन काट दे..." मैने खुद से कहा
"..हेलो...हेलो...निशा,लगता है कि नेटवर्क खराब है...तुम्हारी आवाज़ सुनाई नही दे रही है.. मैं बाद मे कॉल करता हूँ..."बोलते हुए मैने कॉल डिसकनेक्ट कर दिया और एक लंबी साँस लेकर वापस बैठ गया.....
"ले बे अरुण ,अपना मोबाइल थाम और बेटा यदि निशा की कॉल आए तो खुद को अरमान बताकर उससे मत भिड़ जाना...समझा"फिर मैने वरुण से कहा"हां बोल ,तू क्या बोल रहा था..."
"अरमान ,मैं ये बोल रहा था कि तूने कॉलेज लाइफ मे बहुत सारे झंडे गाढ़े और गढ़वाए है.... मैं भी ऐसी ही कॉलेज लाइफ जीना चाहता था...जिसमे हरदम ट्विस्ट आंड टर्न हो... ऐश जैसी एक लड़की हो ,जिसे पाने की चाहत हो लेकिन रास्ते मे उसका प्रेमी और उस प्रेमी का गुंडा बाप खड़ा हो... थोड़ा फाइट-साइट हो...लेकिन अपुन अपनी कॉलेज लाइफ मे ऐसा कुछ नही कर पाया ,मेरी कॉलेज लाइफ तो एक दम बोरिंग बीती है ,इतनी बोरिंग कि यदि मैं तुम लोगो को सुनाना चालू करू तो तुम दोनो बेहोश होकर कोमा मे चले जाओगे, बस एक बार दो बंगाली लड़कियों से प्यार हुआ था..."
"Trust Me, Man... You wouldn't want his life... वैसे भी हम इंजिनीयर्स की बात ही कुछ और है.क्यूँ बे अरमान "अरुण गर्व से बोला...
"यस... सर "
"उसके बाद क्या हुआ...मतलब कि तूने दीपिका और नौशाद से बदला लिया या नही...."
"उसके बाद...??"
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"एग्जामस ख़तम हो चुके है और आज 26 दिसंबर है, तू लगभग 2 महीने तक कोमा मे रहा था...."
ये सुनकर ना तो मेरा मुँह खुला और ना ही मेरी आँखे शॉक्ड होकर बड़ी हुई, जैसा की मेरे चौकने के दौरान मेरे साथ होता था... मैं दो महीने कोमा मे था, दो महीने... सीरियसली... 2 महीने... WTF,Man.... ये जानकार मैं बाहर से नॉर्मल था मतलब कि मैं ठीक उसी तरह अपने बेड पर लेटा हुआ था,जैसे कि पिछले कई दिनो से था... .मैं बाहर से भले ही नॉर्मल दिख रहा था लेकिन मेरे अंदर एक भूचाल सा आ गया था उस वक़्त... मुझे ऐसा लगा जैसे मेरे सर पर फिर से किसी ने रोड दे मारा हो... मेरा सर इस समय ठीक उसी तरह झन्ना रहा था, जिस तरह ग्राउंड मे गौतम के गुंडों से मार खाते वक़्त झन्ना रहा था. उस वक़्त मेरी हालत ऐसी थी जैसे की अभी-अभी किसी ने मेरे सर के बाल को ,जो की नही थे, पकड़ कर ज़ोर से खींचा हो और मैं ,मेरे सर के बाल खीचने वाले को चुप-चाप देखने के सिवाय और कुछ नही कर सकता... इस बीच मेरे बॉडी से कनेक्टेड मशीन्स अपना राग आलाप रही थी और उस समय मुझे सिर्फ़ उन मशीन्स की आवाज़ मुझे सुनाई दे रही थी....
"सच मे मैं दो महीने तक कोमा मे था या तू मज़ाक कर रहा है..."दूसरी तरफ देख कर मैने अरुण से पुछा...
"हां यार..."
"Damn..."
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जब कुछ दिनो पहले मुझे होश आया था तो अपने शरीर के ज़ख़्मो को देखकर मैने ये सोचा था कि मैं कितना स्ट्रॉंग हूँ,जो इतनी पेलाई के बाद भी मेरे हाथ-पैर लगभग सही सलामत है... मैने ये सोचा था कि शायद गौतम के गुन्डो मे उतना दम नही था कि वो मुझे अपंग बना सके... लेकिन असली सच तो ये था कि मैं उस दिन बहुत बुरे तरीके से उनके फंदे मे फँसा था क्यूंकी दो महीने बाद भी मेरे पैर पर कई ज़ख़्म हरे थे और एक हाथ मे प्लास्टर चढ़ा हुआ था...कमर और पीठ भी किसी चीज़ से बाँध के रखी गयी थी....
लेकिन यहाँ समस्या ये नही थी कि उन्होने मुझे इतनी बुरी तरह से मारा बल्कि यहाँ समस्या ये थी की उनकी मार की वजह से मै थर्ड सेमेस्टर के एग्जाम नही दे पाया, मतलब की इस सेमेस्टर मे मुझे पेल के पढ़ाई करनी होगी ...और तो और.... मैं अभी एक-दो महीने के बाद ही यहाँ से डिस्चार्ज होऊंगा तो मेरे पास अब कुल मिलकर 3 महीने ही बाकी थे,जिनमे मुझे पूरा एक साल का पूरा पढ़ना था.... मैं बहुत देर तक शांत रहा और फिर अरुण से बिना कुछ बोले सो गया. सोते वक़्त मुझे कई सपने भी आए और वो सारे सपने एग्जाम हॉल के थे... मैने सपने मे देखा कि मैं एग्जाम हॉल मे गुम्सुम सा अपनी सीट पर बैठा कुछ सोच रहा हूँ. वक़्त निकलते जा रहा है,लेकिन मैं हूँ कि बिना कुछ लिखे ना जाने किन ख़यालो मे खोया हुआ हूँ....और फिर अचानक किसी ने मेरे कान मे ज़ोर से चिल्लाया कि "तू फेल हो गया है...तू मरने वाला है..."
उस आवाज़ ने मुझे बुरी तरह डरा दिया और मैने जब उस आवाज़ की तरफ अपना रुख़ किया तो अपने उसी दोस्त को वहाँ खड़े हुए पाया,जिसकी मौत का सपना मैने अपने स्कूल मे देखा था.... वो अभी पानी मे पूरा भीगा, होने हाथो मे अन्न के दाने लिए राक्षसों की तरह हँसे जा रहा था.
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"अरमान..."किसी ने मुझे पकड़ कर ज़ोर से हिलाया...
"भैया...."हान्फते हुए मैने आँखे खोली और विपिन भैया को सामने देखकर राहत की साँस ली...
"क्या हुआ...तबीयत तो सही है...??"
"हां...सब सही है...बस गर्मी कुछ ज़्यादा लग रही थी..."अपने माथे के पसीने को साफ करते हुए मैं बोला"अभी टाइम क्या हुआ है..."
"रात के 9 बज रहे है, खाना लाया हूँ तेरे लिए....ले खा ले..."बोलते हुए भैया ने टिफिन खोला...
"मम्मी,पापा कहाँ है..."
"कुछ दिन के लिए घर गये है...दो तीन दिन मे वापस आ जाएँगे..."
"आइ आम रियली सॉरी ,भैया..."खाना खाने के बाद टिफ़िन भैया की ओर सरकाते हुए मैने कहा
लेकिन विपिन भैया ने कुछ नही कहा ,वो कुछ देर तक मुझे देखते रहे और फिर वहाँ से चले गये....
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दोपहर की लंबी नींद के बाद अब नींद मेरी आँखो से कोसो दूर थी, उस सपने को तो मैं भूल चुका था... लेकिन लाख कोशिशो के बावजूद ये बात मेरे जेहन से नही उतर रही थी कि मैने थर्ड सेम का एग्जाम मिस कर दिया है... मुझे नौशाद और दीपिका मैम पर एक बार फिर बहुत गुस्सा आया और दिल किया की vampire बनकर उन दोनो को काट डालु,क्यूंकी वो दोनो ही मुझे इस हालत मे पहुचने के ज़िम्मेदार थे....
"साला कितनी अच्छी लाइफ चल रही थी, लेकिन अरुण के एक किस ने सब कुछ ख़तम कर दिया, यदि मैं उस दिन गौतम को नही मारता... तो ये नौबत ही नही आती..."मैने अपने दूसरे version यानी अरमान 2.0 से कहा...
"पर ऐसा करके.. तेरा नाम अमर हो गया कॉलेज मे... तेरे जाने के बरसो बाद तक ये किस्सा हॉस्टलर्स के बीच सुनाया जायेगा की कैसे एक अरमान नान के लड़के ने शहर के सबसे बड़े गुंडे के लड़के का बेखौफ़ होकर सर फोड़ दिया था...".मेरे दूसरे version, 2.0 ने मुझे जवाब दिया... यानी मैने पहले खुद से सवाल किया और फिर खुद को जवाब भी दिया... ये चोट का असर तो नहीं है...???
"नींद नही आ रही है क्या...."मेरे सिरहाने के पास खड़े होकर उस नर्स ने मुझसे पुछा ,जिसने मुझे कल सुई लगाई थी...
"मैं ठीक कितने दिन मे हो जाउन्गा..."
"दिन नही ,महीने बोलो...कुछ महीने लगेंगे ठीक होने मे..."
"अंदाज़न बता सकती हो की कितने महीने लगेंगे..."
"मै डॉक्टर नहीं हूँ.... आप अभी सो जाओ , कल सुबह डॉक्टर से पुछ लेना...."बोलकर उसने लाइट बंद कर दी
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मुझसे अब भी हर दिन बहुत से लोग मिलने आते रहते , कुछ मेरी फिक्र की वजह से आते थे तो कुछ बस फॉरमॅलिटी निभाने के लिए... अभी तक मेरा इस तरफ ध्यान नही गया था लेकिन अचानक ही मेरा ध्यान MTL भाई की तरफ गया तो मैं थोड़ा हैरान हो गया क्यूंकी जहाँ तक मुझे याद है एमटीएल भाई मुझे देखने,मेरा हाल-चाल पुछने के लिए एक बार भी हॉस्पिटल नही आए थे...??? जो अपने आप मे ही एक चौकाने वाली बात थी. मैं अपने 1400 ग्राम के दिमाग़ को फ़्लैश बैक मे ले गया ये कन्फर्म करने के लिए की क्या सच मे सिदार मुझसे मिलने नही आया..?? या फिर वो मुझसे मिलने आया था,लेकिन अब मुझे याद नही है....?? डॉक्टर ने कहा था की मेरा दिमाग़ अब कुछ उलटी -पुलटी हरकते करेगा....
"पांडे अंकल, वर्मा जी ,शर्मा जी, मैथमेटिक्स वाले सक्सेना सर, दीक्षित सर, वरुण, bhu, नवीन, सुलभ, सौरभ, अमर सर, क्लास के सभी लड़के-लड़किया... विपिन भैया के कयि दोस्त.... जब ये सब मुझे याद है तो फिर सिदार क्यूँ याद नही है...??? मुझे पक्का यकीन है की एमटीएल भाई अभी तक मुझसे मिलने नही आए है.... शायद घर मे होंगे या फिर बिजी.. नौकरी वाले आदमी बन गये है अब तो... "मैने ऐसा अंदाज़ा लगाया...
पर ये मेरे ये अंदाजा मुझे कुछ जंचा नहीं, इसलिए मैने अपने सामने बैठे अरुण से पुछ ही लिया कि सिदार भाई अभी तक क्यों नहीं आए...???
"क..कक्क... क्या बोला तूने..."
"हकला क्यूँ रहा है.. मैने पुछा कि सिदार अभी तक आया नही..."
"आया था ना, तुझे याद नही होगा..."
"सच ...? क्या मुझे सच मे ये याद नही है कि एमटीएल भाई मुझसे मिलने आए भी थे या नही... एक मिनट "
"2.0.. You there,buddy...?"
"Yes sir...."
"क्या सिदार मुझसे मिलने हॉस्पिटल आया था...?? "
"Nope..."2.0 ne jawab diya
"You sure..."
"Hundred percent...."
"Wooohh... Where are you,... what are you thinking... You kind of got lost in yourself... "
"तूने झूठ क्यों बोला की... सिदार मुझसे मिलने आया था.. 2.0 ने तो कहा की सिदार मुझसे मिलने नहीं आया था.."